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Pankaj Kumar

Classics

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Pankaj Kumar

Classics

ख्वाब

ख्वाब

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कुछ ख्वाब हमने भी पाले थे,

हुनर था या नहीं मगर,

रगों दिल में जोशों के उबाले थे,

वक़्त की करवट में,

कितना कुछ पीछे छूट गया।


पाया था जो कड़ी मेहनत से,

हालात उसे भी लूट गया,

अब तो बस यादें बाकी है,

बिखरे हुए वादे बाकी है।

 

पर इक ख्याल परेशान करता है,

नया हौसला भी भरता है 

जो बीत गयी सो बात गयी,

काली ग़म की रात गयी। 


अभी तो सवेरा है,

ये मौका तो मेरा है,

चल यादों को संजोते हैं,

बिखरे वादों को फिर से पिरोते हैं।


अब जो जोशी-ऐ -रवानी होगी,

वही तो मेरी कहानी होगी,

 जो बहुत रुहानी होगी 

जो बहुत रुहानी होगी।


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