ख़्वाब - ऐ - सुकून।
ख़्वाब - ऐ - सुकून।
कभी - कभी मन करता है कहीं दूर चली जाऊं
जहाँ कोई न हो बस मैं ही मैं हूँ वहाँ
एक ऐसी जगह जहाँ खुली - खुली हवा हो
जो मेरे दिल को ठंडक दे
मेरी रूह को सुकून पहुँचाये।
जहाँ बहुत सारे पेड़ - पौधे हों, जब मैं गाना गाऊं
तब वो भी मेरे साथ गुनगुनाएं
तितलींयो की ताल और चिड़ियों की आवाज़ मिलकर
एक साज़ बनाए
धूप की किरणें मुझ तक कुछ ऐसे आए ,
जो मेरी खूबसूरती को दिखाए।
कितना खुशनुमा वो पल होगा
जो मैं खुद के ही साथ खुद जीऊं
न किसी यादों को याद करके दिल उदास होगा ,
न आंखें नम होगी और न ही खुशी कम होगी
बस क़ुदरत की सुंदरता और खुद के साथ
वो पल जीने की दुआ हर पल होगी।