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Anjum Khatun

Crime

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Anjum Khatun

Crime

फेंकते हैं मुंह पर तेज़ाब इस तरह।

फेंकते हैं मुंह पर तेज़ाब इस तरह।

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फेंकते हैं गुरूर से मुंह पर तेज़ाब इस तरह। 

जैसे दे दिया हो कोई ताज इस तरह। 

कोई समझाए इनको ,

बहना है इन्हें भी नदियों में राख की तरह। 

अगर ठान ली हमने मिटाने की इनको ,

तो मिट्टी में मिला देंगे खाक की तरह। 

फेंकते हैं गुरूर से मुंह पर तेज़ाब इस तरह। 

जैसे दे दिया हो कोई ताज इस तरह। 


चेहरा बिगाड़ा है चरित्र नहीं। 

ज़िंदा इंसान हूं काग़ज़ों पर बनी चित्र नहीं। 

धो लेना खुद को जितना भी तुम , 

फिर भी मन से तुम पवित्र नहीं। 

फेंकते हैं गुरूर से मुंह पर तेज़ाब इस तरह। 

जैसे दे दिया हो कोई ताज इस तरह। 



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