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क्यों भूल गए तुम?

क्यों भूल गए तुम?

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 क्यों भूल गए तुम?

 


जब कर रहे थे तुम दुष्कर्म,

मैं बनी थी तुम्हारे जीवन का जुर्म

 

सोचा था मैंने जब आओगे तुम इस संसार,

 रोशन करोगे मेरा जीवन हर क्षण और हर बार


 सपने थे मेरे कि बनो तुम मेरे हमसफ़र,

 परंतु कर ना सके तुम मेरे आत्मसम्मान को प्रबल


 पुरुष हो तो रौंद दोगे स्त्रीत्व?

 ना करोगे सम्मान मेरा तो मिटा दूंगी तुम्हारा अस्तित्व


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