एक तरफ़ा एहसास
एक तरफ़ा एहसास
मैं यह जानती हूं की तुम्हारे दिल में मैं नहीं रहती,
इसलिए अब मैं तुमसे कुछ नहीं कहती I
फिर भी इक झूठी आशा है दिल के किसी कोने में,
कि तुम्हारा जीवन भी खास हो आभा के होने में I
जीवन का यह कटाक्ष समझ नहीं पाती ,
तुम पर अपना अधिकार जताने का हक खो चुकी,
पर तुम्हारी फिक्र करना क्यों छोड़ नहीं पाती I
अब ना तो तुम्हें पाना है,
ना ही मन से निकालना है ,
बस तुमसे दूर रहकर उन खूबसूरत लम्हों को
याद कर बचे हुए जीवन को बिताना हैI
जब भी तुमसे मुलाकात का मन
होगा ,
उन पन्नों को पलट लिया करूंगी
और यादों के झरोखे से
तुम्हें नजर भर देख लिया करूंगी I
पर एक गुजारिश है तुमसे,
अब मुझ पर और सितम ना करो.
कि तुम्हें देखने की हसरत भी.
दिल से गायब हो जाएI