अतरंगी मन
अतरंगी मन
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मन करता है की सुख-दुख की ताल
पर नाच कर तुम्हें रिझाऊं,
या तुम्हें रस समझकर पी जाऊं l
सुंदर शब्दों में बुनकर गाऊँ ?
तुम समुद्र लहर हो और
मैं तुम में मिल जाऊं l
कहो कैसे तुम्हें रिझाऊं ?
मन करता है की सुख-दुख की ताल
पर नाच कर तुम्हें रिझाऊं,
या तुम्हें रस समझकर पी जाऊं l
सुंदर शब्दों में बुनकर गाऊँ ?
तुम समुद्र लहर हो और
मैं तुम में मिल जाऊं l
कहो कैसे तुम्हें रिझाऊं ?