लड़नी होगी लम्बी लड़ाई
लड़नी होगी लम्बी लड़ाई
पहाड़, नदी-नालों के बीच गिरते-भागते
इस तरह कब तक बचा पाओगे खुद को
उन बर्बर चेहरों के आतंक से
डायन के आरोप में सरेआम जिन्होंने
छिन लिया फूलमती को तुमसे
तुम्हारी ही आँखों के सामने से ?
पेड़ों से बाँधकर
अनगिनत लाठियाँ बरसाई
और नंगा कर धुमाया गाँव-गली
क्या उनके लिये जीना चाहते हो ?
या जीना चाहते हो उन तमाशबीनों के लिये
रहम की भीख मांगती
जिनकी आँखोें के सामने गिड़गिड़ाती रही फूलमती
और इधर हँसते रहे वे
परंपरागत कानून की दुहाई देकर ?
क्या गुनाह किया था फूलमती ने
पहले जिसे पिलाया गया मैला
सर मुड़ाकर नग्नावस्था में फिर जोता गया गली-गली
पेड़ से बाँधकर अंत में कर दी गई फिर हत्या
पूरी मानव जाति को शर्मसार करते हुए ?
खामोश रहकर कब तक पीते रहोगे आँसू
और छिपते रहोगे उन दरिेंदों से कब तक
जायदाद हड़प कर जो चाहते हैं
तुम्हारी भी इहलीला कर देना समाप्त ?
बचे समय में
तभी बच सकते हो तुम भी
बदले की भावना से तुम्हारी
जब बज जाएगी उनकी भी घंटी
ठिकाने आ जाऐंगे होश !
फूलमती की तरह ही
मौत के आगोश में समय-असमय सो जाने वाली
शोषण, अत्याचार की शिकार महिलाओं के लिये
क्या इतना भी नहीं कर सकते जोंको गोप ?
नामर्दों की भीड़ से अलग
तंत्र-मंत्र, ओझा-गुनी जैसी साजिशों के विरूद्ध
लड़नी होगी तुम्हें ही लंबी लड़ाई
डायन, बिसाही के नाम पर जहाँ
कर दी जाती हैं निर्दोष महिलाओं की निर्मम हत्याएँ।