कैसे ना भरोसा उठे उसका फ़ितरत-ऐ-इन्सान से, सभी फूल चुरा ले गया हो कोई जिस गुलिस्तान से।................. कैसे ना भरोसा उठे उसका फ़ितरत-ऐ-इन्सान से, सभी फूल चुरा ले गया हो कोई जिस गुलिस्त...
गूंजती है आज भी फिज़ा में हजारों सिसकियां, घुट घुट कर तड़पती है इस समाज में बेटियां! गूंजती है आज भी फिज़ा में हजारों सिसकियां, घुट घुट कर तड़पती है इस समाज में ...
कराहती हुई रूह को सहलाते हैं खुदा करेगा इन्साफ ये समझाते हैं कराहती हुई रूह को सहलाते हैं खुदा करेगा इन्साफ ये समझाते हैं
या जीना चाहते हो उन तमाशबीनों के लिये रहम की भीख मांगती जिनकी आँखोें के सामने गिड़गिड़ाती रही फूलमती... या जीना चाहते हो उन तमाशबीनों के लिये रहम की भीख मांगती जिनकी आँखोें के सामने ...
और कुछ बाकी भी है क्या, दरिंदगी की हद पार करने को ! और कुछ बाकी भी है क्या, दरिंदगी की हद पार करने को !
अपनी भूख मिटाने के लिए, हैवान बने हो... अपनी भूख मिटाने के लिए, हैवान बने हो...