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Rutam Udgata

Crime Drama

2.5  

Rutam Udgata

Crime Drama

कैसे करूँ यकीन ?

कैसे करूँ यकीन ?

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कैसे बढ़े ये कदम,

तेरी मंदिर की ओर ?

वो, जिनकी घण्टियों की गूँज से,

कभी तेरी जय जयकार होती,

आज उन्ही की गूँज में कहीं,

खो सी गयी हैं,

उस बच्ची की चीखें !


कैसे बढ़े ये कदम,

तेरी मंदिर की ओर ?


वो, जिसकी चौखट पर आकर,

लोगों को जीवन की नयी राह मिलती,

आज उसी चौखट पर कहीं बिखर से गये हैं,

उस बच्ची के अरमान !


कैसे करूँ यकीन,

तेरी मौजूदगी पे ?


वो, जिसने द्रौपदी को तो इन्साफ़ दिला दिया,

पर अनसुनी-सी कर दी है,

उस बच्ची की पुकार !


कैसे करूँ यकीन,

तेरी मौजूदगी पे ?


वो, जिसकी मूरत के आगे कभी इंसान अपने,

पापों का प्रायश्चित करता,

आज उसी के आगे कहीं लूट लिया गया है,

उस बच्ची का बचपन ।।


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