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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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खून की कीमत

खून की कीमत

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खून की कीमत चुकानी है

दिल से कहानी सुनानी है


हमारी रगों में बहनेवाले लहू को

आज बतानी हमें जवानी है


बहुत दिनों तक सोये रहे है

बस आंसूओ को खोते रहे है


आज हमारी अक्षुधारा को 

हमको बनाना सुनामी है


खून की कीमत चुकानी है

इस माटी का नमक खाया है


आज माटी से खेलनेवालों को 

हमे पिलाना पानी है


कुछ लोगो ने शेरों को 

गीदड़ समझ लिया है


आज उन्हें दहाड़ बतानी है

खून की कीमत चुकानी है


आज शहद से ज़्यादा मीठे हैं,

लोग हमें नीम से प्यास बुझानी है


पत्थरों पर इल्ज़ाम लगाना छोड

कंटको की मिटानी कहानी है


खून की कीमत चुकानी है

भारत माँ ने हमे बहुत पाला है


हर दिन दिया मुँह में निवाला है

हमें मां की इज्जत बचानी है


मां पर बुरी नज़र रखनेमवालों पर

सरेआम गोली चलानी है


खून की कीमत चुकानी है

आख़री लहुँ के कतरे तक लड़ना है


दुश्मनों को याद दिलानी नानी है

जिंदा रहेंगे,कुछ पल के लिए ही सही,


पर दीपक की आखिरी लो जलानी है

खून की कीमत चुकानी है।


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