खुशनसीब हैं
खुशनसीब हैं
वो नदियाँ जो तेरे शहर से बहती हैं,
अपने खामोश लफ्जों से तुमको ये कहती हैं।
कि कोई तुम पर आज भी मरता है,
दीवानों की तरह प्यार तुम्हें करता है।
ख्वाबों में तेरे ना जागता है ना सोता है,
यादों में तेरी ना हँसता है ना रोता है।
पागलों की तरह तेरे इंतजार में रहता है,
बस इतना ही कहता है।
वो आईने खुशनसीब हैं,
जो तुमको निहारते हैं।
वो बिंदिया वो लाली वो
काजल वो कंगन,
जो तुमको संवारते हैं।
वो हवाएं खुशनसीब हैं,
जो तुम्हें छू कर गुजरती है।
वो घटाएं जो तुम पर बरसती हैं,
वो फिजाएं जो रोज तुम्हें देखकर
रंग बदलती है।
वो खुशियां खुशनसीब हैं,
जो तेरे आंगन में पलती हैं।
वो शमा जो तेरे कमरे में जलती है,
वो शाम जो तेरे पहलु में ढलती है।
हम बदनसीब हैं जो तुमसे दूर हैं,
इश्क़ में हैं मगर मिलने को मजबूर हैं।