खुशियों की सौगात
खुशियों की सौगात


खुशियों की सौगात लिए, झिलमिलाते जलते दीप लिए
प्रकाश का अनूठा रंग लिए, हंसता हुआ आलोक लिए
रंग खुशी के बिखर रहे और हर गम खुशियों में बदल रहे
भोर की रंगत में वो रंगी हुई, नभ से लाली की थाल लिए
पुलकित पुलकित मन की आशा जहाँ न हो कहीं निराशा
दीवाली आई मीठी और नटखट बच्चों की मुस्कान लिए
किरण -किरण की तारों सी फैल रही है चहुँ ओर रोशनी
इस त्योहार यत्नों के रतनों का उज्ज्वल सा उपहार लिए
घनी घटाओ का अंधियारा दूर होकर अब छट जाएगा
होगा हर -घर में उजाला द्वीप की करुणा का धार लिए
जीवन के अनहद में बहने लगे हैं लोक -मंगल के गीत
दीप -दीप की नई ज्योति संग वैभवशाली का गान लिए
पकवानों की भीनी खुशबू से महक रहा हर घर-आंगन
विश्व भर में दिख रहा प्रेम और भाईचारे का मर्म लिए।।