ख़ुशियों की बरसात
ख़ुशियों की बरसात
ख़ुशियों की बरसात की टप-टप करती हुई बूंदें,
जाने कब हमारे घर-आंगन में आकर बरसेगी।
सीखिए ना कुछ तो हँसते-हँसाते जीने की कला,
कब तक आँसू बहा-बहा कर रोते-रोते ही जीना।
मर रहें हैं जंगली जानवर इंसानों के वहशीपन से,
घनघोर कलयुग में देखो-देखो राम ही रावण बनें।
मोहब्बत को सचमुच में पाना चाहते हो याद रखें,
सबकुछ अपना गवाँ दो यही मोहब्बत का कायदा।
सबके दिल में डर है कोरोना महामारी का कितना,
सहमी-सहमी सी नजरें देखकर कोरोना का कहर।
यारों वैसे भी हम सब यहाँ पर सिर्फ़ मुसाफ़िर ही है,
दुनिया का हर प्राणी आज आयेगा तो कल जायेगा।
दिन-रात बस ज़हर तो घुल रहा जमीन-आसमान में,
दुआ माँगते जल्द-से-जल्द आएं ख़ुशियों की बरसात।