खुशियों के पल
खुशियों के पल
दो इंसानों ने प्यार किया,
जी जान से इकरार किया,
बहुत वाद विवाद हुआ,
यहां तक की,
समाज से भी बाहर हुए।
किंतु इश्क का कीड़ा था दिमाग में,
नहीं लेने देता था चैन,
बोलता था,
मत करो किसी की परवाह,
महोब्बत को करो कामयाब।
लेकिन मुश्किल ये आई,
गुजर बसर के लिए,
साधन कहां से लाएं,
आखिर निकला समाधान,
दोनों हों गये एक,
किस्मत खुल गई तुरंत,
बात हो गई सच,
मीयां बीबी राज़ी,
तो क्या करेगा काजी।