खुशी
खुशी
हर रिश्ता निभाकर दिल से
अच्छाई की परवाह कर
आत्मसम्मान बचाए रखकर
मिलती है खुशी
कड़वे बोल ना बोल कर
ना कर झूठी तारीफ
सबों को अपना कर प्यार से
मिलती है खुशी
बच्चों को आगे बढ़ते देख
संस्कार में ढलते देख
उनकी मुस्कुराहटों से
मिलती है खुशी
बिछड़े दोस्तों से मिलकर
उनके साथ वक्त बिता कर
उनसे पुरानी यादें ताजा कर
मिलती है खुशी
पड़ोसी जब साथ निभाते हैं
घर का हिस्सा हो जाते हैं
सुख-दुख साथ निभाते हैं
तो मिलती है खुशी
कभी मानसून की बारिश में
जाड़े की गुनगुनी धूप में
कभी गर्म मौसम के शीतल बयार में
मिलती है खुशी
प्यासे को पानी देकर
और भूखे को भोजन देकर
ईमानदारी से दायित्व निभा कर
मिलती है खुशी
औरों की गलतियों को क्षमा कर
अपनी भूल सुधार कर
कभी खुशियों के फूल बिखेर कर
मिलती है खुशी
मिल जुलकर प्रेम से
मदद का हाथ थाम कर
परोपकार की भावना से
मिलती है खुशी।
औरों के प्रति हो अच्छे भाव
ना कुरेदें किसी के घाव
दिल में हो प्यार के एहसास
तो मिलती है खुशी
बड़ों के आशीर्वाद में
छोटों के प्यार में
दोस्तों के स्नेह दुलार में
मिलती है खुशी
अपने पराये की
परवाह किए बिना
जब करते हैं सहयोग
तो मिलती है खुशी।