खुशी
खुशी
कितना ढूँढा उसे
जो खो गया था मुझसे कहीं
फिरता रहा हर जगह
कभी कहाँ, कभी कहाँ
हर गली, हर मुहल्ले में
जी रहा हूं कब से
बीना उसके
आँखें थक चूंकि है
ढूंढते हुए उसे
अब तो अपने भी पूछते है हाल हमारा
भला, हुआ क्या है तुम्हें
"मुस्कुराते " देखा नहीं कब से
कैसे कहूं सबसे
" खुशी" खो गई है मुझसे