खुशी की परिभाषा
खुशी की परिभाषा
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खुशी की परिभाषा पूछूँ भी तो किनसे
बदल जाता पैमाना इन से उन से
पर्याप्त नहीं होता परिमाण हर दफ़ा
परिणाम बदल जाता इन से उन से।।
मत कहो खुश दिखता नहीं है वो
नाहक़ नुमाईश करता नहीँ है जो
खुशी की सार तृप्ति में परिवर्त्तित
प्रकट प्रकाशित होती इन से उन से ।।
कभी ज्यादा कभी कम हो सकती खुशी
आखों से अक्स बन बह सकती खुशी
रह भी सकती दिल में नीरव निशब्द
अनकही अदाएं जैसी इन से उन से ।।
मेरे आँसू आप की खुशी हो सकती
आपकी खुशी उनको मायुसी दे सकती
नज़र या नजरिया में फ़र्क हो अगर
नज़ारें बदल जाते इन से उन से ।।
जमाने से जमाना ऐसे ही है बामन
बदलते वक्त के साथ बदलता इंसान
खुशियाँ बांटते चलो हो सके जितनी,
छंटते चलो गमों को इन से उन से।।