खुशहाली-हरियाली
खुशहाली-हरियाली


खुशियाली है. हरियाली है
देखो हर तरफ प्रकृति में
छाई हरी हरियाली है।
घर में भी देखो अब तो
आई खुश खुशियाली है।
बाग बगीचे सब हरे -भरे,
वृक्ष फूलों-फलों से लदे फदे।
चिकने हरे हरे से पत्ते,
चमके मानो रुधिर भरे।
लगते कितने खुश हैं ये
स्वच्छ हवा में लेते श्वांस।
जीवन में कब देखे ऐसे
सुमनों पर भरपूर पराग।
है प्रदूषण से मुक्त धरा ।
साफ सुथरा है पर्यावरण।
सौन्दर्य से भरपूर निखरा-निखरा
प्रकृति का है कण-कण।
साफ बह रहीं नदियां
सबकी जीवनदायिनी।
होगी अब भरपूर फसल
पौष्टिक आरोग्यबर्धनी।
द
ेखो कितनी हरियाली।
छाई कितनी हरियाली।
जीवन में भर गये फिर रंग
घर घर हंसी ठहाके गूंज रहे।
दादा-दादी,मम्मी-पापा के संग
मस्ती,नोक-झोंक भरपूर रहे।
प्यार पुरसुकून मन में फिर
फिर उमंग,तरुनाई भर आई।
घर लगते पावन मन्दिर से
रौनकें बहु-बेटीं लेकर आईं।
मतभेद विचार कुछ ढह रहे
समन्वय के संस्कार बह रहे।
लहरा रहा भारतीय संस्कृति का परचम
हो रहा फिर नये पुराने का संगम।
ऐसा मौका मिलेगा ना फिर
जी लो जीवन के ये अद्भुत दिन।
स्मृतियों में बस जायेगें
कोरोना वाले दिन कहलायेगें।
देखो खुशियाली आई।
घर में खुशहाली छाई।