खुद से बतियाना
खुद से बतियाना
मन ही मन, मन में बातें कर ,
मन को यूँ समझा लेती हूँ,
कठिन दौर है कट जाएगा,
खुद से ही बतिया लेती हूँ।
बाहर जाना छोड़ दिया है,
हाथ मिलाना छोड़ दिया है,
मन की उलझने सुलझा लेती हूँ,
खुद ही खुद से बतिया लेती हूँ।
तेरी-मेरी छोड़ मन की करती हूँ
भावों को कागज पर उकेर कर
पढ़कर खुश हो लेती हूँ
खुद ही खुद से बतिया लेती हूँ।
ना बात किसी की पीड़ा देती
न मन किसी का दिल दुखाता
मन में आता वही करती
खुद से खुद ही बतिया लेती हूँ।
मेरी कलम मेरी है सखी
खुलकर दिल की कहती हूँ
कोई सुने या न सुने जी
खुद ही पढ़कर मुस्कुरा लेती हूँ।
