खुद में ही खो गया हूँ मैं
खुद में ही खो गया हूँ मैं
खुद में ही खो गया हूँ मैं, खो कर मेरे बचपन को
एक अलग ही इंसान बन गया हूँ मैं।
एक वक्त था जब सच में हस लिया करता था
अब जूठी हसी को सच्ची दिखाने लगा हूँ मैं।
हालत संभल तो जाते हे लेकिन
खुद को ही कही इन हालात में खो चुका हूँ मैं।
वक्त से ही वक्त को सराहना सिख गया हूँ मैं
खुद को ही खुद सवारने लगा हूँ मैं।
बचपन में मांगा करता था चीज में घर से
अब खुद कमाना सिख गया हूँ मैं।
पैसा क्या हे उसकी अहमियत अब समज आई
सोख दूर कर जरूरतें पूरी करने लगा हूँ मैं।
मां बाप तब भी वैसे ही थे और आज भी वैसे ही हे
लेकिन मेरा बचपन भुलाके जिम्मेदार लड़का बन गया हूँ मैं।
बचपन में पापा में पास खिलोने मांगा करता था मैं
अब जिंदगी को खिलौने सा लगने लगा हूँ मैं।