खुद को धोखा
खुद को धोखा
हर शख्स आज दे रहा धोखा है
सूखे में ही आज डूब रही नौका है
सब आज हर वक़्त तलाश रहे है
एक-दूसरे को ठगने का मौका है
बेरहम सी दुनिया में आज सब
असत्य का साथ दे रहे चोखा है
नहीं कर रहा है कोई सत्य की मदद,
सब झूठ के हो गये है हार नोलखा है
सब उम्मीदें आज हो गई धूमिल है
न मिल रही किसी राही को मंज़िल है
फिऱ भी सत्य पर चलना तू न छोड़
सच ही बनायेगा तुझे साखी क़ाबिल है
हर तरह के सौर में खुद को न भूलना
तेरा आत्म-स्वर ख़ुदा का एक झोंका है।