खुद भी टूटा
खुद भी टूटा
खुद भी टूटा,उससे टूटा
शीशे जैसा मेरा दिल भी टूटा
मेरा घर एक प्रेम महल था
राजा था मैं,वो रानी थी उसकी
उसकी जुदाई से वो आँगन छूटा
शीशे जैसा
बातें करते थे चाँदनी रातों में
मिलने आते थे चुपके-चुपके रातों में
किस शैतानी पे वो मुझसे रूठा
शीशे जैसा
नजरों में वो,दिल में भी थी
सांसों में वो,मेरे गीतों में थी
अपना बना के फिर मुझको लूटा
शीशे जैसा मेरा दिल भी टूटा।