खंडहर हुई यादें
खंडहर हुई यादें
वीरान हुई दिल की महफ़िल खंडर हुई यादें भी
वक़्त के साथ धुंधली हुई मुलाकात की बातें भी
फिर भी एक इंतजार है दिल में बेवजह ही सही
जिसे देख करती हैं सवाल ये अजनबी राहें भी
ना मुकम्मल इश्क़ हुआ ना ज़िंदगी का सफ़र ही
अधूरे रह गए ख़्वाब अधूरी ज़िंदगी की डगर भी
कहांँ से समेट लाऊंँ यादों के बिखरे मोतियों को
इस दिल को तो ख़बर ही नहीं, उसके शहर की
ना कोई वज़ूद और ना कोई सुबह है इंतजार की
फिर क्यों आज भी रोशन है दिल में लौ प्यार की
खंडहर हुई यादों में भी नज़र आती एक उम्मीद
भुलाना ना चाहे दिल उसे जाने क्यों भुलाकर भी।