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Shilpi Goel

Abstract Tragedy

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Shilpi Goel

Abstract Tragedy

कहना है।

कहना है।

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कहने हैं कुछ किस्से

किससे कहूँ।

मन के अधूरे हिस्से

किससे कहूँ।


वो प्यार भरी तकरार

किससे कहूँ।

वो लम्बी रातों का इंतजार

किससे कहूँ।


तेरा पास होकर भी पास ना होना

किससे कहूँ।

तेरी यादों में गुज़रा वो जमाना

किससे कहूँ।


हर कदम पर तेरे साथ होने की आहट

किससे कहूँ।

तेरे ख्यालों से उघड़ी वो मुस्कुराहट

किससे कहूँ।


कहूँ या ना कहूँ,

या

बस यूँ ही चुप रहूँ।


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