STORYMIRROR

Diwa Shanker Saraswat

Tragedy Others

3  

Diwa Shanker Saraswat

Tragedy Others

खिलखिलाती हंसी

खिलखिलाती हंसी

1 min
160

अक्सर झूठ से भरी होती है

हंसी खिलखिलाती

कितनी बातों को छिपाती

अश्रुओं की धार पर मुस्कराती

अक्सर झूठी से भरा होता है


वह बेवजह का हास्य


एक तड़फ को नकारता

रुदन को छिपाता

अक्सर दर्द दिखाई देता है

खिलखिलाती हंसी में

एक बेतहाशा दर्द

जन्म दे देता झूठी हंसी को

अक्सर मासूमियत का अहसास कराती

खिलखिलाती हंसी मजबूरी होती है

विरोध न कर पाने का दंश झेलती

अपनी लाचारी पर रोती



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy