कहीं दूर
कहीं दूर
कहींं दूर
मेरे दिल के कोने में
तुम रहती हो
कहीं दूर
मेरे दिल को अक्सर तुम
धड़काती हो
कहीं दूर
मेरे दिल की साँसों को
तुम महकाती हो
और मैं
स्वयं को आबनूस के वृक्ष की भांति
सुगंधित और मजबूत पाता हूं
कहीं दूर
तुम मेरे ख्यालो में आकर
मुझको चुपके से सहला जाती हो
कहीं दूर
तुम मेरे ख्यालो में आकर
मेरे मन को छूकर जाती हो
कहीं दूर
तुम मेरे ख्यालो में आकर
तुम चुपके से बाहों में आती हो
और मैं
सागर की भांति खुद को
और विशाल व गहरा पाता हूं
कहीं दूर बैठी तुम
मुझको याद करती हो
और मैं हिचकी से उसका जवाब देता हूँ
कहीं दूर बैठी तुम
अक्सर मुझको महसूस करती हो
और मैं
काली घटा को देखकर तुझको देख लेता हूं
क्या करूँ मेरा तुम्हारा साथ
शायद नही था
मगर कुछ तो है जो
अब तक हमे बांधे हुये है।