कहीं देखा क्या ?
कहीं देखा क्या ?
क्या होता है सोलमेट
दिखता कैसा है
क्या है ये मनुष्य या
कोई स्वर्ग देवता है
नहीं देखा न सुना
कैसी होती है बोली
गाता है क्या गीत या
स्वर में मिश्री है घोली
क्या सुनता है सब बातें
कभी मानी बेमानी
क्या हंसता है वो संग
सुनकर रोज़ कहानी
क्या समझ पाता है भावों को
जो शब्दों से परे हैं
क्या बाँटता है वो दुख
जो मन के कोने में पड़े हैं
क्या देखेगा वो सपने
जो बस मेरे हों अपने
क्या कंधा है उसके पास
अगर कभी आंसू हो बहने ?
क्या थामेगा वो हाथ
अगर कभी मैं लड़खड़ाऊं
क्या तब भी करेगा प्रेम
जो बदले में कुछ न दे पाऊँ
होता क्या है सोलमेट
कौन सा चमत्कार भला ये
जो देखा हो कहीं बताना,
क्या है जादुई बला ये !
