ख़ुशी
ख़ुशी
ख़ुशी का जिंदगी पर कब असर है
ग़मों में कट रहा मेरा सफ़र है
सकूं फ़िर भी मिला मुझको न ग़म से
ख़ुदा से की दुआ दिल से मगर है
करुं मैं फ़ोन पर ही बात किससे
नहीं कोई यहाँ जाने जिगर है
चली आ आज मिलनें तू ज़रा अब
मुहब्बत ए सनम मुझसे अगर है
नहीं वो पास कैसे हो तसल्ली
यहाँ तो यूं निगाहें याद में तर है
उधर से नफ़रत का तेजाब आया
बहुत भेजे उल्फ़त के गुल उधर है
दग़ा के तीर आते ख़ूब आज़म
नहीं आते वफ़ा के गुल इधर है।
