STORYMIRROR

aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

4  

aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

ख़ुशी

ख़ुशी

1 min
419

ख़ुशी का जिंदगी पर कब असर है 

ग़मों में कट रहा मेरा सफ़र है 


सकूं फ़िर भी मिला मुझको न ग़म से 

ख़ुदा से की दुआ दिल से मगर है


करुं मैं फ़ोन पर ही बात किससे 

नहीं कोई यहाँ जाने जिगर है


चली आ आज मिलनें तू ज़रा अब 

मुहब्बत ए सनम मुझसे अगर है 


नहीं वो पास कैसे हो तसल्ली 

यहाँ तो यूं निगाहें याद में तर है


उधर से नफ़रत का तेजाब आया 

बहुत भेजे उल्फ़त के गुल उधर है


दग़ा के तीर आते ख़ूब आज़म 

नहीं आते वफ़ा के गुल इधर है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract