ख़ामोश लब मेरे गांव में
ख़ामोश लब मेरे गांव में
नीम का था पेड़ मेरे गांव में!
दोस्तों के साथ खेला करते थे
शहर के ही लोगों में उल्फ़त नहीं
प्यार है लोगों में मेरे गांव में
यादें बचपन की फ़िर ताजा हो गयी
हां लगे है झूलें मेरे गांव में
खेला करते थे गुल्ली डंडा जहां
आज भी है बाग मेरे गांव में
इसलिये है प्यार की ख़ुशबू यहां
है गुलों के बाग मेरे गांव में
शहर में है नफ़रतों के लहजे
प्यार है बस "आज़म" मेरे गांव में
ख़ामोश लब
हर घड़ी अच्छी नहीं ख़ामोश लब
कुछ बोलो मत रहो ख़ामोश लब
प्यार से आवाज़ देते हम रहे
और वो बैठे रहे ख़ामोश लब
जख़्म ऐसा कल वफ़ा में ही मिला
ग़म दिल में ही हो गये ख़ामोश लब
क्या सुनाऊँ शायरी मैं दोस्तों
है किसी की यादों में ख़ामोश लब
एक भी बोली नहीं उसने बातें
देखते वो बस रहे ख़ामोश लब
ग़म मिले तो अपनों से ऐसे यहां
जिंदगी "आज़म" भरी ख़ामोश लब
आज़म नैय्यर