समुन्दर चाहता है
समुन्दर चाहता है
समुन्दर भी चाहता है
सूखना और
मौत की गोद में
एक चैन की नींद सोना
वह नहीं चाहता अब और
जीना
उसकी प्रबल इच्छा है
पानी की एक बूंद बनकर
हवा में ऊपर उठती
वाष्प में तब्दील होकर
जल्दी से खत्म करके
खुद को
खुद को खुद से और
जग से अलग करते हुए
बहुत दूर कहीं
किसी दुनिया में
बादल के धुएं सा
खो जाना।