गुनाह
गुनाह
ख्वाबों का रंगीन होना गुनाह है,
इंसान का जहीन होना गुनाह है ,
कायरता समझते हैं लोग मधुरता को
जुबान का शालीन होना गुनाह है,
लोग इस्तेमाल करते हैं नमक की तरह ,
आंसुओं का नमकीन होना गुनाह है।
खुद की ही लग जाती है नजर ,
हसरतों का हसीन होना गुन
ाह है,।
दुश्मनी हो जाती है मुफ्त में सैंकड़ों से
इंसान का बेहतरीन होना गुनाह है,।
जीवन में हो रंग कई पर रंगों का रंगीन होना गुनाह है ,
रंगों का रंगीन होना गुनाह बन जाता है ।
रिश्ते ना हो कभी किसी से क्योंकि रिश्ते निभाना गुनाह हो जाता है।