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Ananya Singh

Abstract

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Ananya Singh

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वो मैं हूं

वो मैं हूं

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गुजार दिए होंगे तुमने, कई दिन, महीने, साल 

जो काट न सकोगे वो रात मैं हूं।


की होगी गुफ्तगू, तुमने कई दफा कई लोगो से,

दिल पर को लगेगी वो बात मैं हूं।


भीड़ में जब तन्हा, खुदको तुम पाओगे,

अपनेपन का अहसास जो करा दे, वो साथ मैं हूं।


बिताए होंगे तुमने कई हसीन पल सबके साथ में,

जो भुला ना पाओगे, वो याद मैं हूं।


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