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PRAVIN PATEL

Abstract

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PRAVIN PATEL

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हरद्वार

हरद्वार

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मन चल तू हरद्वार,

चल चल तू हरद्वार!


तन चल तू हरद्वार,

खोल भ्रम का द्वार!


मन चल तू हरद्वार..


मन पर मेल चढ़ा जो

जा के धो तू गंगाधार!


मन चल तू हरद्वार......


है एक ही मुक्तिद्वार,

बाकी है खाली द्वार!


मन चल तू हरद्वार.........


हर ! हरेगा तेरा सब पाप,

वहीं से खुलेगा पुण्यद्वार!


मन चल तू हरद्वार.........


साथ न दे सदा सदा संसार,

कान्तासुत सदा साथ शंकर!


मन चल तू हरद्वार,

चल चल तू हरद्वार !


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