इन्साफ करो
इन्साफ करो
इन्साफ करो ओ ख़ुदा !जुल्म ही ज़ुल्म है तेरे संसार मे !
इन्साफ करो ओ ख़ुदा ! जुल्मी ही जुल्मी तेरे संसार मे !
न्याय अन्याय की बातें खाली किताबो में भरी भरी है,
देखूं इधर उधर तो अन्याय की काली गंगा बह रही है !
इन्साफ करो ओ ख़ुदा ! जुल्म ही जुल्म है तेरे संसार मे....
आज तेरी दुनिया में ग़रीब के न कोई करीब है गरीब
का न कोई धर्म है,ना कोई मजहब है ना कोई रक्षक है !
इन्साफ करो ओ ख़ुदा ! जुल्म ही जुल्म है तेरे संसार में....
कानून तो कानून है, देखता ख़ुद की आँखों से तो भी
माँगता सबूत है !ये अंधो के देश मे ये अंधा क़ानून है !
इन्साफ करो ओ ख़ुदा !जुल्म ही जुल्म है तेरे संसार में.....
जँहा न मिले दो वक्त की रोटी और न दो गज का टुकड़ा
कान्तासुत उनसे उम्मीद भी क्या रखो मिले न्याय सच्चा !
इन्साफ करो ओ ख़ुदा ! जुल्म ही जुल्म है तेरे संसार में,
इंसाफ करो ओ ख़ुदा ! जुल्मी ही जुल्मी हैं तेरे संसार में !
