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Sarita Kumar

Romance

3  

Sarita Kumar

Romance

कहानी

कहानी

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सोचती हूं लिखूं एक कहानी 

हमारी तुम्हारी ....

मगर 

तुम तो मेरी कविता हो 

मेरी कल्पना हो 

खुबसूरत सा एक भ्रम हो 

सुबह की चाय हो

दोपहर में बरगद की छांव हो 

होती है जब शाम 

तब झाग वाली कॉफी हो 

थक हार कर जब चूर चूर हो जाती हूं 

तब मेरे सिरहाने का तकिया हो 

कैसे लिखूं कहानी 

तुम तो मेरी कविता हो ..........!


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