कहानी जंगल की
कहानी जंगल की
कहानी यह जंगल की है
मत समझना हमारे देश की है,
रिश्वतखोरी कालाबाजारी के
बढ़ रहे थे दुकान,
न्याय व्यवस्था से भी लोग थे परेशान,
राजा शेर के खिलाफ जुलूस
निकालने की योजना रची गई,
निकालने को जुलूस तारीख
और समय चुनी गई,
बस अब नेता चुनना था
और तैयारी आगे बढ़ाना था!
सबसे पहले आगे आया मियां मगरमच्छ
और बोला सुनो मैं कहता हूँ बिल्कुल सच,
अब होगा भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई
तैयार हूँ मैं जुलूस में करने को सबका अगुवाई,
सफेद कुर्ते और गाँधी टोपी पहन
पास खड़ा बंदर मामा चिल्लाया,
तुम तो रहने दो भाई
तुम्हारे इरादे में बिल्कुल भी नहीं है सच्चाई,
याद है खाने को कलेजा तुमने
दोस्त के साथ ही किया था गद्दारी,
चुनना है अगर सही नेता
तो बेस्ट है यह बंदर।
बात सुनते ही भड़क गया मगर
बोला तुम्हारे भ्रष्टाचार की कहानी
तो बच्चों-बच्चों में है मशहूर,
याद है कैसे दो बिल्ली की
लड़ाई में फायदा उठाया था,
और अब नेता बनने आए हो तुम लंगूर।
देखते-देखते दोनों में हो गई हाथापाई
बीच-बचाव करने आया हाथी भाई,
उनको छुड़ाया और बोला
आपस में ही क्यों करते हो लड़ाई,
सामने दुश्मन हैं हमारे बहुत ही ताकतवर
मैं कर सकता हूँ उसका
सामना अपना सूँड हिला कर।
इतने में ही सियार ने
हाथी को रोका मुस्कुराकर,
बोला हो जाओगे लोटपोट
देख कर केला और गन्ना,
तू तो पीछे हट जाओ हाथी मेरे यार,
सामना करना है शेर का तो
रहना पड़ेगा हमें होशियार,
सबसे सही और भरोसे वाला
हमारा नेता होगा ये सियार।
भीड़ में पीछे खड़ा भालू
आ गया एकदम सामने,
और लगा सियार का हाथ थामने,
बोला जहाँ भरोसे की हो बात
तो कोई नहीं चलेगा तुम्हारे साथ,
हमको चाहिए ऐसा नेता जो
साथ चले और करें हमारा भला,
हम सभी में यहाँ सबका दिल
जीत सकता है यह भालू भोला-भाला।
बस भालू के इतना कहने की थी देर
भ्रष्टाचार से लड़ने वाले
आपस में ही कर ली बैर,
दूर से सब देख रही
पंछी रानी तोते से पूछी,
अगर वाकई में यह सब
भ्रष्टाचार के खिलाफ है
तो मिलकर एक दूसरे का
देते क्यों नहीं साथ हैं।
तोता बोला इस कलयुग में
गाँधी तो मिट गए,
बची रह गई तो बस
उनकी टोपी है।
अब भ्रष्टाचार के विरुद्ध
जंग नहीं होती है,
बस अपने-अपने हिस्सों के
लिए झगड़ा होता रहता है।