कहाँ गई वो मर्यादा
कहाँ गई वो मर्यादा
नारी के जब कपडे उतारे भरी सभा मे .
तो उस नारी ने श्राप दिया .
कहाँ को गई वो मर्यादा
जिसका साथ सवम श्री कृष्ण ने दिया
आज खुद आज़ादी के नाम पर
अध्नंगा घूमती हो .
क्या इसी को हक़ का नाम देती हो .
माना कपड़ो से पहचान नहीं होती
किसी इंसान की .
पर परवरिश तार तार होती है
तेरे इसी फैसलों की
दुपट्टे के बदले तूने
खुले पहनावों का साथ दिया .
ऐसी आज़ादी का क्या करना
दम जिस मे तेरा भी घुंट गया.
