खामोशियां
खामोशियां
तुम अपने राज़
दिल में ही रख लो
बाहर आ गए तो
इल्ज़ाम तुम पर ही लगाएंगे।
अपने घावों में
परदे डाल कर रहो
नज़र आए ज़माने को
तो खंजर और चुभाएंगे।
ख़ामोशी के दामन में
यूं ही लिपटे रहो
लफ्ज़ जुबां पर आए तो
फासले और बढ़ जाएंगे।
तुम्हें बेमौत मारेगी
ये दुनियां ख़िलाफत में
दफ़न कर दो सवालों को
तुम्हें जो बेचैन करते हैं
किसी राह में ख़ुद को
अकेला ही पाओगे।
