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Abhay kashyap

Romance

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Abhay kashyap

Romance

ख़ामोश इश्क़

ख़ामोश इश्क़

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मुझे अपना दुख बताना नहीं आता,

मुझे दुःखी नजर आना भी तो नहीं आता।


उम्मीदों का बोझ है सर पर मेरे,

मुझे वो बोझ भी तो उठाने नहीं आता।

  

मैं अक्सर घर से कॉलेज जाता हूं अक्सर,

हाय मेरी किस्मत...!

 

उसका घर भी तो मेरे

कॉलेज के रास्ते में नहीं आता...!


घर उनका पता नहीं बदला है आज भी,

उनसे मिलने की खातिर।


लेकिन अब उनका भी तो

कोई खत पुराना नहीं आता,

वो मेरी इश्क की खामोशी समझती नहीं।


मुझे भी तो आंखों से उसे इश्क जताना नहीं आता,

अब वो मेरे शहर को भूलने लगा है शायद,

मुझे भी तो अब उसे अपने शहर बुलाने नहीं आता...!


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