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PRADYUMNA AROTHIYA

Romance Tragedy

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PRADYUMNA AROTHIYA

Romance Tragedy

खाली जेबें कब तक देखूँ ?

खाली जेबें कब तक देखूँ ?

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तुम्हें देखूँ

या अपनी खाली जेबें देखूँ,

प्यार बहुत

मगर खाली जेबें कब तक देखूँ ?

घेर लेती हैं

बातें वही जो दर्द देती हैं,

रास्तों से गुजर

जब मैं सोचूँ

तुम्हें कोई उपहार दूँ

या अपनी खाली जेबें देखूँ,

अदृश्य हो रही हैं

हाथों की रेखाएं

अगर यही सच है,

मगर कल के लिए

खाली जेबें कब तक देखूँ ?

उन्माद नहीं है कोई

मगर जरूरत है जीने की,

जिंदगी को जीना है

और प्यार को पाना है,

यह सब पाने के लिए

खाली जेबें कब तक देखूँ ?



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