कभी रूह के पन्नो को पढ़ कर तो
कभी रूह के पन्नो को पढ़ कर तो
कभी रूह के पन्नो को
पढ़ कर तो देख
कई अफ़साने उभर आएंगे
कभी अपनी यादों की कलम से
लिख कर तो देख
रोमानी से वो दिन हो जायेंगे
अपनी आँखों में वो पल
कैद कर के तो देख
एहसास-ए-महक
तेरी रूह को सराबोर कर जायेंगे
बहते दरिया का सैलाब
रोक कर तो देख
किस्मत की लकीरें खींच जाएँगी
बेमतलब दौड़ती ज़िन्दगी की
लगाम को थाम
कितने मकाम खुद ब खुद
हासिल हो जायेंगे...!