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Tarvinder Kaur

Romance

3  

Tarvinder Kaur

Romance

क्यों

क्यों

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यूँ तो इश्क़ का भरम दिए जाते हैं 

वो एक मुद्दत से

फिर क्यों उम्मीद की रोशनाई बुझा 

दिए नज़र ए बरहम से


हक़ दे दिया अपनी साँसों पर तुम्हें 

फिर क्यों हर बात में रंजिश दिए 

जाते हो शिद्दत से


यूँ तो हर वक़्त ये सर झुकता है 

तेरी आमादगी पर

फिर क्यों तुमने बगावत कर ली

हम से

तुम्हारी शायरी में ज़िंदा रहें काफी 

है हमे 

फिर क्यों इकराह ए दिली कर 

बैठे खुद से.. 


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