मेरे एहसासों पर अपना साया रहने
मेरे एहसासों पर अपना साया रहने
मेरे एहसासों पर अपना साया रहने दीजे
इश्क़ काफूर हो गया उनकी नज़रों से
मेरे बंद होठों पर ये सुखं रहने दीजे
ले गए मेरी ज़िन्दगी साथ अपने तुम
ये खाली मकान तो रहने दीजे
ये आंखें बोलती हैं कहानी खौफ ए रुस्वाई की
दिल के किसी गोशे मे मेरे निशाँ रहने दीजे
गुनेहगार बन ही गए हम इश्क़ करने के
इसी बदगुमानी मे जीने दीजे
ले गई सब्रो करार मेरा उनकी बेमुर्रवत नज़र
अब सिर्फ इक खौफ ए जान तो रहने दीजे
इस भीड़ मे तनहा खुद को पाता हूँ हमेशा
मेरे सब्र का अब और इम्तिहान रहने दीजे...!