कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम
पूछा जो मैंने किसी सज्जन से क्या आपको लगता है हमेंं सच में आजादी मिली है ...?
आंखे खुल गई मेंरी जब उन्होंने हँसते हुए कहा कि " कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम "
एक ऐसी आजादी मिली है हमेंं जहाँ अपने घर की बेटियों के पहनावे को नजरअंदाज करते हैं हम ...
और पराई घर की महिलाओं पे इल्जामों की बौछार करते हैं हम ...
कौन कहता है अब आजाद नहीं हुए हम ...
घर की महिलाओं को घर में कैद करने की आजादी मिली है ...
और पराई महिलाओं पे अत्याचार करने के लिए आजाद हैं हम ...
कौन कहता है अब आजाद नहीं हुए हम ...
हमेंं अपने बच्चों पे नाज होता है , की वो गलत नहीं होते न हम ...
पर अपनी थाली मेंं भी छेद हो सकता है , ये बात भूल जाते हैं हम ...
कौन कहता है अब आजाद नहीं हुए हम ...
अपनी मेंहनत मजदूरी कर के भी मालिक की गलियां सुनते हैं ...
आज भी सभ्य समाज मेंं रहने पर वालों के लिए गुलाम हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
खुद के मॉडर्न कपड़े सबको खूब पंसद आते हैं ...
कभी महिला पहने तो घूरने लग जाते हैं हम ...
कौन कहता है आझाद नहीं हुए हम ...
सिर्फ बेटे ही परिवार के कुलदीपक होते हैं यही समझ कर ...
बेटियो की भ्रूण मेंं ही हत्या कर देने का साहस रखते हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
और लड़की मतलब सिर्फ शादी कर के घर से निकाल दो ...
चूल्हा चौका करना है यही समझा के इस जिम्मेंदारी से मुक्त हो जाते हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
शादी मेंं दहेज मांगना तो प्रथा चलती आ रही है अब तक ,
कोई इस गंदी प्रथा के विरोध मेंं आवाज़ न उठाएं यही चाहते हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
दहेज न मिलने पर लड़की को प्रताड़ित करते हैं हम ...
मारपीट , गालियां ही क्या , जिंदा तक जला देते हैं हम ...
कौन कहता है आझाद नही हुए हम ...
जहा आज भी पाखंड का राज चलता है ...
धर्म , जाती के नाम पे लड़ाई दंगे करते हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
ढोंगी बाबाओं के पास सब कुछ लुटा कर आते हैं ...
और भूखे के मुंह से निवाला तक छीन लेते हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
अंधविश्वास को सच मान कर क्या कुछ नहीं कर जाते ...
निष्पाप जानवरों की हत्या से नहीं कतराते हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
जब भी कोई लड़की अकेली जाए रात मेंं ...
उसे अपनी हवस का शिकार मान लेते हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
देश को चलाने के लिए हर बार एक ही कदम बढ़ाते हैं ...
अपने कीमती वोट को शराब के बदले बेच आते हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
चन्द कागज के टुकड़ों मेंं खुद को बेच कर ...
५ साल राजनेताओ के तलवे चाटते हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नहीं हुए हम ...
सर्व धर्म समभाव कहे जाने वाले हमारे हिन्दुस्तान मेंं ...
एक दूसरे की जाती को नोच नोच के खा जाते हैं हम ...
कौन कहता है आजाद नही हुए हम ...
अपनी मातृभाषा को छोड़ अंग्रेजी सीखने चले है ...
हिंदी , संस्कृत जैसी पुरातन भाषा बोलने वालों को मजाक उड़ाते है हम ...
कौन कहता है आजाद नही हुए हम ...
गुलाम थे अंग्रेजो के तब तक सब बंधा हुआ सा लगता था ...
फिर इस भारत के चार टुकड़े कर के अलग मुल्क बनाने से भी नही घबराए हम ...
कौन कहता है आजाद नही हुए हम ...
हम तो आजाद देश के गुलाम है बस
कहने को ही आजाद है।
उनकी बातों से आंखों मेंं पानी आ गया , मैने कहा ...
अगर ऐसी आजादी मिली है हमेंं , तो नही चाहिए हमेंं ...
पुरुषों संग कांधे से कांधा मिलना चाहते है हम ...
ऐसी आजादी चाहते हैं हम ...
सब एक साथ मिल कर रहे इस हिंदुस्तान मेंं ...
प्यार , मोहब्बत से हर रिश्ता निभाना चाहते है हम ...
बस ऐसी आजादी चाहते हैं हम ...
जहाँ हर बेटी को मिल सके मान सम्मान
कल्पना चावला की तरह भर सके अपने
सपनो की उड़ान बस ऐसी आजादी चाहते हम...
दहेज ना लेने ना देना का रिवाज हो
बेटियों पर ना कभी अत्यचार हो।
कन्या भ्रूण से मुक्त हो बस ऐसी आजादी चाहते हम...
भ्र्ष्टाचार रिश्वतखोरी से बने बैठे हैं जो राजनेता
बस खुद ही तिजोरी को भरने मेंं लगे है काटकर ग़रीबो का पेट।
ऐसे नेताओं से मुक्ति हो बस ऐसी आजादी चाहते हैं हम......
दुनिया भर मेंं एक ही पैगाम पहुचाना चाहती हूँ ...
विश्वास , प्रेम और अपनेपन से जीना चाहते हैं हम ...
बस ऐसी आजादी चाहते हैं हम ...
बस ऐसी आजादी चाहते हैं हम ...