कौन हूँ मैं
कौन हूँ मैं
पूरा हुआ हूँ मैं
या आधा बचा हूँ !
जुबां से फिसला हूँ मैं,
कागज़ पर लिखा हूँ।
कल की सुबह हूँ,
मैं या बुझती रात हूँ !
समय की पुकार हूँ मैं,
लम्हों की चीख हूँ।
जीवन हूँ मैं,
या मौत का प्रचार हूँ !
शून्य की खोज हूँ मैं,
अनन्त की शुरुआत हूँ।