कौन है जो चोर नहीं है
कौन है जो चोर नहीं है
आज के दौर में खग को कोई ठौर नहीं है।
कट गए जो पेड़ उन पर कोई जोर नहीं है।
नेता जी के सारे कस्मे वादे झूठे ही निकले।
इस लोभी लालची मन का कोई छोर नहीं है।
पाँच साल तक ये जनता का खूब धन लूटते।
भला ऐसा कौन है जो यहां घूस खोर नहीं है।
सच बिकता कैसे सस्ते में खुलेआम अब है।
बोलो तो अब कौन यहां पर मुँह जोर नहीं है।
दिखावे को यहाँ वहाँ समाजसेवा हैं कराते ।
ऐसी आम खबरों में अब बस एक शोर नहीं है।
मदद दीन दुखी की यथासंभव करते जाओ।
मानव धर्म इंसानियत बेबस व कमजोर नहीं है।
हर एक इंसान में बसता है भगवान का रूप।
कौन है ऐसी सूरत जो सीरत से चितचोर नहीं है।
अफ़सर बनकर सारे हैं लेते घूस और रिश्वत।
यहां भ्रष्टाचारियों का कानून क्यों कठोर नहीं है।
समर्थ लोग अपनी मुठ्ठी में पकड़ सरकार धरे हैं ।
उनकी साज़िश तिकड़म का कोई क्यों छोर नहीं है।
मिल बाँट गरीबों का हक सभी मज़े से खा लेते हैं।
इस सत्ता और सियासत में कोई दान ओर नहीं है।
पाँच साल तक जी भर कर ऐश व राज करें वो ।
उनकी करतूतों पर कोई लगाम कसती डोर नहीं है।
जनता भोली खरीद लेंगे,धन बल त्यागें ढोर नहीं है।
अबके दौर के लोगों में ऐसा कौन है जो चोर नहीं है।