कैसे कहूँ दर्द दिल का
कैसे कहूँ दर्द दिल का
कैसे कहूँ दर्द दिल का
शब्द भी कम पड़ जाते हैं
वीर जवानो की शहादत पर
दिल में गुस्सा आँख से आँसू बहते हैं
क्यों नहीं ऐसा कानून
जो देशद्रोही को दे दंड तुरंत
क्यों मेरे देश में देशद्रोही रहते है
कोई क्या समझेगा उस माँ की पीड़ा
जिसके नयन सूख गए पथ की राह निहारते
उस पत्नी की मांग का सिंदूर इन्साफ़ मांगता
कब तक लहू बहेगा यूं ही वीरों का लड़ते लड़ते
कैसे कहूँ दर्द उन परिवारों का
जिनका एक ही वारिस क़ुर्बान हो गया
देश की लाज रखते
अब वक़्त आ गया
दुश्मन को सबक सिखाने का
देश की जनता अब तो चेतो
रहो सतर्क घर के भेदी से
कैसे कहूँ