कैसे कह दूँ महिला आज सशक्त है
कैसे कह दूँ महिला आज सशक्त है


जब तक एक भी नारी की आँखों में आँसू है
चीर -हरण तो आज भी होता
दोषी चाहे कोई भी हो,
लेकिन दोष हमेशा नारी का ही होता
कहीं कथित अपमान
कहीं शारीरिक हिंसा
नारी से ही क्यों उसका सपना छिनता
कैसे कह दूँ महिला आज सशक्त है।
कुछ नाम है प्रेणादायक,
जिन्होंने परचम फहराया
उनको भी ऊँगली पर गिन लो
कितना खोया कितना पाया
इंद्रा नूई, चंदा कोचर, कल्पना चावला
प्रतिभा पाटिल, मैरीकॉम या जूही चावला
बनकर सितारा चमक रही
अचंभि
त है सारी दुनिया
बेटे की चाह में होती भ्रूण हत्या
वो भी तो है यही दुनिया
कैसे कह दूँ महिला आज सशक्त है
जब तक नहीं उसे
निर्णय लेने का अधिकार
कब तक होता रहेगा
उसका आँचल तार-तार
जब तक नहीं रुकेगी कन्या भ्रूण हत्या
कैसे मिलेगा बेटी को जीने का अधिकार
क्यों बेटी ही प्यार को तरसे
बेटे पर ही ममता बरसे
कुछ कहती हैं उसकी आँखे
समझकर तो देखो एक बार
भर देगी खुशियों से सारा संसार
कैसे कह दूँ महिला आज सशक्त है।।