कैसे भुला दूं तुम को
कैसे भुला दूं तुम को
कैसे भुला दूं मैं तुमको ,
कैसे कह दूं तुमको अलविदा,
कुछ लम्हे ही सही पर ....
तुमने संग बाटी थी खुशियां।
तेरे ही नाम से होती रही,
मेरे हर सुबह की शुरुआत,
तेरे ही आंखों में सजाती रही,
मेरे जीवन की सारी ख्वाहिशें।
वक्त के कितने पहरों के बीच,
मुलाकातों का सिलसिला जारी रहा,
हर सवालों से जूझते हुए भी,
कभी दूर न हो पाए एक दूजे से।
आखिर ऐसी क्या खता हुई,
मेरे दिल के बंधन को .....
एक ही झटके में अलग कर,
मुझे वक्त की हवाओं में बहा दिया।
खिलते थे मेरी जिंदगी के रंग,
तेरी प्यार भरी मुस्कान के साथ,
लिपट लिपट कर रोती रही शामें,
तेरे जाने के बाद.............।
आ भी जाओ ना एक बार फिर से,
कुछ न कहेंगे तुम से यह वादा रहा,
तुम बिन कैसे जिएं अब.......,
जिन लबों पर सिर्फ तेरा ही नाम रहा।
रुक सी गई है मेरी जिंदगी अब,
चांदनी रात तेरी याद में ....
ठंडी सी दस्तक दे मेरी रूह को,
मेरे लफ़्ज़ों को नरम कर रुला देती है।