काश तू साथ होती
काश तू साथ होती
तू होती तो...
ग़म की ये बरसात ना होती,
तनहा होकर मेरी ये रूह ना रोती,
काश! तू साथ होती।
दिल की ये जमीन बंजर ना होती,
धड़कन की दास्तां अधूरी ना होती,
काश! तू साथ होती।
अधूरी वो ख्वाबॊ की दस्तक ना होती,
नींदों को करवटों से शिकायते न होती,
काश! तू साथ होती।
चल चल कर कदमों को ठोकर न लगती,
ख़ामोश रहने की बात कानो को ना खलती,
काश! तू साथ होती।
कुछ बाते अनकही ना रह जाती,
बस तुझे देखने की ख्वाइश आख़री ना होती,
काश! तू साथ होती।
ख़ामोशी के ज़ाल में मुस्कान फसी ना होती,
हाथो से लकीरें बस यूं ही ना फिसलती,
काश! तू साथ होती।
रोशनी में भी मंजिले ओझल ना होती,
सिर्फ यादों के सहारे ये राहे ना बनती,
काश! तू साथ होती।
बिस्तर पर आकर तन्हाई ना सोती,
बाहो में आज तेरी सिर्फ खुश्बू ना होती,
काश! तू साथ होती।
